Daughter Property Rights: अब बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में मिलेगा समान अधिकार!

Daughter Property Rights

Daughter Property Rights: अब बेटियों को भी पैतृक संपत्ति में मिलेगा समान अधिकार, भारत ने महिला सशक्तीकरण की ओर एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया कि बेटियों को भी पिता की पैतृक संपत्ति में बराबर अधिकार मिलेंगे। यह निर्णय समाज में लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा और महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करेगा।

Daughter Property Rights: पहले क्या था नियम?

1956 की शुरुआत में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम ने बेटियों को पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं दिया था। 2005 में इसे बदलकर बेटियों को पुत्रों की तरह कोपार्सनरी अधिकार दिए गए। लेकिन यह संशोधन भी कुछ शर्तों को पूरा करता था। पिता की 9 सितंबर 2005 को मृत्यु के बाद बेटियों को संपत्ति का अधिकार मिलता। इन हालात के कारण हजारों बेटियों ने अपने अधिकारों को खोया। स्थिति अधिक जटिल हो गई क्योंकि कई हाई-कोर्ट्स ने इसे अलग-अलग ढंग से समझाया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी संदेहों को दूर करते हुए स्पष्ट रूप से कहा कि हर बेटी को बिना शर्त पैतृक संपत्ति का अधिकार होगा।

Daughter Property Rights: क्या है सुप्रीम कोर्ट का निर्णय?

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि बेटियों को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार मिलेंगे, चाहे उनका जन्म कब हुआ हो या पिता की मृत्यु कब हुई हो इससे कुछ फर्क नही पड़ेगा। संपत्ति में बेटियों के अधिकार पर कई शर्तें अब हटा दी गई हैं। बेटियों को जन्म से ही पूरा अधिकार प्राप्त होगा।

Daughter Property Rights: क्या सभी धर्मों पर यह निर्णय लागू होगा?

यह निर्णय हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख समुदायों पर लागू होगा, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 के तहत। मुसलमानों और ईसाइयों के उत्तराधिकार कानून अलग हैं। इसके बावजूद, इस फैसले से प्रेरणा लेकर दूसरे धर्मों में भी समानता का प्रयास किया जा सकता है।

Daughter Property Rights: समाज पर क्या असर होगा?

यह फैसला कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है और सामाजिक रूप से क्रांतिकारी होगा। वर्षों से बेटियों ने संपत्ति पर अधिकार के लिए संघर्ष किया है। बेटियों को भी अक्सर पारिवारिक विवादों में छोड़ दिया जाता था। सुप्रीम कोर्ट की इस फैसले से अब बेटियों को आत्मसम्मान और धन मिलेगा। बेटियों को अब अपनी संपत्ति में बराबर हिस्सा मिलेगा। संपत्ति विवाद कानूनी तरीके से हल होगा। महिलाओं को धन प्राप्त होगा। पारंपरिक मानसिकता बदल जाएगी और बेटियों का अधिकार मजबूत होगा।

Daughter Property Rights: सामाजिक कार्यकर्ताओं का उत्तर

बहुत से बड़े वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्हें लगता है कि यह बहुत समय से प्रतीक्षित निर्णय है और महिलाओं को बराबरी का दर्जा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय महिलाओं को आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त बनाएगा।

भारत की सुप्रीम कोर्ट की यह फैसला न्याय व्यवस्था में समावेशी सोच का प्रतीक है। यह निर्णय इस बात की पुष्टि करता है कि भारत का समाज अब पुरुष प्रधान नहीं रहेगा; इस देश में भी बेटियों को वही अधिकार और सम्मान मिलेगा जो अपने पुत्रों को मिलता है। अब बेटियां घर की एकमात्र “लक्ष्मी” नहीं होंगी; वे कानूनी रूप से एक “वारिस” भी होंगी। यह ऐतिहासिक घटना बराबरी और न्याय को समाज में मजबूत करेगी और भविष्य की पीढ़ियों को नई राह देगी।

हमें उमीद है कि आप Daughter Property Rights के बारें में पूरी तरह से जान गए होगे अगर आपको यह जानकारी पसंद आयी तो इस आर्टिकल को अपने दोस्तो को शेयर जरूर करना और कॉमेंट मे जरूर बताए आपको यह Daughter Property Rights कैसा लगा…

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